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Index

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         1.१६-जय-विजयका वैकुण्ठसे पतन   १७-हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्षका जन्म तथा हिरण्याक्षकी दिग्विजय  १८-हिरण्याक्षके साथ वराहभगवान्‌का युद्ध   १९-हिरण्याक्ष-वध  २०-ब्रह्माजीकी रची हुई अनेक प्रकारकी सृष्टिका वर्णन   २१-कर्दमजीकी तपस्या और भगवान्‌का वरदान २२-देवहूतिके साथ कर्दम प्रजापतिका विवाह   २३-कर्दम और देवहूतिका विहार

3/23 २३-कर्दम और देवहूतिका विहार

 CHAPTER TWENTY-THREE: Devahūti’s Lamentation  २३-कर्दम और देवहूतिका विहार

3/22 २२-देवहूतिके साथ कर्दम प्रजापतिका विवाह

 CHAPTER TWENTY-TWO: The Marriage of Kardama Muni and Devahūti  २२-देवहूतिके साथ कर्दम प्रजापतिका विवाह 

3/21२१-कर्दमजीकी तपस्या और भगवान्‌का वरदान

 CHAPTER TWENTY-ONE Conversation Between Manu and Kardama  २१-कर्दमजीकी तपस्या और भगवान्‌का वरदान 

3/20२०-ब्रह्माजीकी रची हुई अनेक प्रकारकी सृष्टिका वर्णन

 Conversation Between Maitreya and Vidura २०-ब्रह्माजीकी रची हुई अनेक प्रकारकी सृष्टिका वर्णन

3/18१८-हिरण्याक्षके साथ वराहभगवान्‌का युद्ध

 CHAPTER EIGHTEEN: The Battle Between Lord Boar and the Demon Hiraṇyākṣa  १८-हिरण्याक्षके साथ वराहभगवान्‌का युद्ध 

3/17१७-हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्षका जन्म तथा हिरण्याक्षकी दिग्विजय

 १७-हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्षका जन्म तथा हिरण्याक्षकी दिग्विजय  https://vedabase.io/en/library/sb/3/17/ Victory of Hiraṇyākṣa Over All the Directions of the Universe

3/19१९-हिरण्याक्ष-वध

 The Killing of the Demon Hiraṇyākṣa

3/16१६-जय-विजयका वैकुण्ठसे पतन

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१६-जय-विजयका वैकुण्ठसे पतन  The Two Doorkeepers of Vaikuṇṭha, Jaya and Vijaya, Cursed by the Sages  ŚB 3.16.5 यन्नामानि च गृह्णाति लोको भृत्ये कृतागसि । सोऽसाधुवादस्तत्कीर्तिं हन्ति त्वचमिवामय: ॥ सेवकों के अपराध करने पर संसार उनके स्वामीका ही नाम लेता है। वह अपयश उसकी कीर्तिको इस प्रकार दूषित कर देता है, जैसे त्वचा को चर्म रोग।।5।। A wrong act committed by a servant leads people in general to blame his master, just as a spot of white leprosy on any part of the body pollutes all of the skin.5.

मृगशिर

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 मृगशिरा नक्षत्रमृगशिर( 5) 16.जय विजय का वैकुंठ से पतन 17.हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष का जन्म तथा हिरण्याक्ष की दिग्विजय 18.हिरण्याक्ष के साथ वाराह भगवान का युद्ध 19.हिरण्याक्ष का वध 20.ब्रह्मा जी की रची हुई अनेक प्रकार की सृष्टि का वर्णन 21.कर्दम जी की तपस्या और भगवान का वरदान 22.देवहूति के साथ कर्दम प्रजापति का विवाह  23.कर्दम और देवहूति का विहार।      स्कंद 3 अध्याय 16 से अध्याय 23 तक। 1. जय विजय का वैकुंठ से पतन 2. हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष का जन्म 3.हिरण्याक्ष के साथ युद्ध  4.हिरण्याक्ष का वध  5.सृष्टि का वर्णन  6.कर्दम जी की तपस्या  7.देवहुती के साथ विवाह  8.देवहूति के साथ विहार।  स्कंद 10, अध्याय87, वेद स्तुति, पांचवी वेद स्तुति।  मनुष्य ऋषि-मुनियों के द्वारा बतलाई हुई पद्धतियों से उदर आदि स्थानों में जिन का चिंतन करते हैं और जो प्रभु उनके चिंतन करने पर मृत्यु भय का नाश कर देते हैं उन ह्रदयदेश में विराजमान प्रभु कि हम उपासना करते हैं। 18वीं वेद स्तुति ŚB 10.87.18 उदरमुपासते य ऋषिवर्त्मसु कूर्पद‍ृश: परिसरपद्धतिं हृदयमारुणयो दहरम् । तत उदगादनन्त तव धाम शिर: परमं पुनरिह यत् समेत्य न