मनुष्य ऋषि-मुनियों के द्वारा बतलाई हुई पद्धतियों से उदर आदि स्थानों में जिन का चिंतन करते हैं और जो प्रभु उनके चिंतन करने पर मृत्यु भय का नाश कर देते हैं उन ह्रदयदेश में विराजमान प्रभु कि हम उपासना करते हैं।
3/20२०-ब्रह्माजीकी रची हुई अनेक प्रकारकी सृष्टिका वर्णन
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Conversation Between Maitreya and Vidura
२०-ब्रह्माजीकी रची हुई अनेक प्रकारकी सृष्टिका वर्णन
1.१६-जय-विजयका वैकुण्ठसे पतन १७-हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्षका जन्म तथा हिरण्याक्षकी दिग्विजय १८-हिरण्याक्षके साथ वराहभगवान्का युद्ध १९-हिरण्याक्ष-वध २०-ब्रह्माजीकी रची हुई अनेक प्रकारकी सृष्टिका वर्णन २१-कर्दमजीकी तपस्या और भगवान्का वरदान २२-देवहूतिके साथ कर्दम प्रजापतिका विवाह २३-कर्दम और देवहूतिका विहार
मृगशिरा नक्षत्रमृगशिर( 5) 16.जय विजय का वैकुंठ से पतन 17.हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष का जन्म तथा हिरण्याक्ष की दिग्विजय 18.हिरण्याक्ष के साथ वाराह भगवान का युद्ध 19.हिरण्याक्ष का वध 20.ब्रह्मा जी की रची हुई अनेक प्रकार की सृष्टि का वर्णन 21.कर्दम जी की तपस्या और भगवान का वरदान 22.देवहूति के साथ कर्दम प्रजापति का विवाह 23.कर्दम और देवहूति का विहार। स्कंद 3 अध्याय 16 से अध्याय 23 तक। 1. जय विजय का वैकुंठ से पतन 2. हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष का जन्म 3.हिरण्याक्ष के साथ युद्ध 4.हिरण्याक्ष का वध 5.सृष्टि का वर्णन 6.कर्दम जी की तपस्या 7.देवहुती के साथ विवाह 8.देवहूति के साथ विहार। स्कंद 10, अध्याय87, वेद स्तुति, पांचवी वेद स्तुति। मनुष्य ऋषि-मुनियों के द्वारा बतलाई हुई पद्धतियों से उदर आदि स्थानों में जिन का चिंतन करते हैं और जो प्रभु उनके चिंतन करने पर मृत्यु भय का नाश कर देते हैं उन ह्रदयदेश में विराजमान प्रभु कि हम उपासना करते हैं। 18वीं वेद स्तुति ŚB 10.87.18 उदरमुपासते य ऋषिवर्त्मसु कूर्पदृश: परिसरपद्धतिं हृदयमारुणयो...
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